gallantry award क्या है अहम जानकारी

gallantry award या वीरता पुरस्कार को millitary award या सेना पुरस्कार भी कहा जाता है, जैसा कि नाम से पता चलता है, सेना पुरस्कार भारतीय सैन्य नायकों को समर्पित एक प्रतिष्ठित सम्मान है जो विभिन्न कठिन परिस्थितियों में उनके द्वारा दिखाए गए अदम्य साहस और उत्कृष्ट बहादुरी को मान्यता देने के लिए दिया जाता है।

gallantry award

हालाँकि, यह केवल सेना के नायकों की बहादुरी तक ही सीमित नहीं है, बल्कि आम नागरिक और अन्य सुरक्षा बल भी अपनी असाधारण बहादुरी, पराक्रम आदि के लिए वीरता पुरस्कार के लिए पात्र हैं, वीरता पुरस्कार से जुड़ी तमाम जानकारियां नीचे दी गई है।

gallantry award क्या है

gallantry अवॉर्ड किसी भी देश में सेनाओं को समर्पित एक विशेष प्रतिष्ठित सम्मान है जो कठिन परिस्थितियों में सैन्य वीरों के अदम्य साहस, असाधारण योगदान और उत्कृष्ट बहादुरी को सम्मानित करने के लिए दिया जाता है।

उदाहरण के लिए, भारत में कुल 6 वीरता पुरस्कार हैं, जिनमें से सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र के साथ-साथ अन्य 5 पुरस्कार विजेताओं को उनके साहस और बहादुरी के अनुसार दिए जाते हैं, इनमें शामिल हैं।

  • परमवीर चक्र
  • महावीर चक्र
  • वीर चक्र
  • अशोक चक्र
  • कीर्ति चक्र
  • शाैर्य चक्र

भारत के अलावा संयुक्त राज्य अमेरिका का ‘मेडल ऑफ ऑनर’, यूनाइटेड किंगडम का ‘विक्टोरिया क्रॉस’ सर्वोच्च सैन्य पुरस्कार हैं, जो तुलनात्मक रूप से परमवीर चक्र के समान हैं।

देश में साल में दो बार राष्ट्रपति के हाथों चयनित साहसिक वीरों को वीरता पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं, पहला गणतंत्र दिवस पर और दूसरा स्वतंत्रता दिवस पर।

इस पुरस्कार में एक पदक और राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित एक प्रमाण पत्र शामिल होता है। इसके अलावा, विजेताओं को मुआवजे के तौर पर नकद राशि भी दी जाती है। अलग-अलग वीरता पुरस्कारों के लिए राशि अलग-अलग होती है। हमने इसके बारे में आगे विस्तार से बताया है, आइए अब वीरता पुरस्कारों के इतिहास पर एक नज़र डालते हैं।

वीरता पुरस्कार की शुरुआत कब और कैसे हुई

इन पुरस्कारों की औपचारिक स्थापना आजादी के बाद 26 जनवरी 1950 को की गई थी, लेकिन इसकी स्थापना के पीछे एक कहानी है जिसे आपको जानना चाहिए।

देश की आजादी से पहले विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों को भी ब्रिटिश पुरस्कार प्रणाली के तहत सम्मानित किया जाता था, 1947 की आजादी के साथ ही यह चीज खत्म होने लगी और कुछ समय बाद 1947-48 के भारत-पाक युद्ध के वीर सैनिकों को सम्मानित करने के लिए भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और अन्य नेताओं ने ब्रिटिश पुरस्कार को अपनाने के बजाय भारत के अपने तीन वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र, महावीर चक्र और वीर चक्र शुरू करने का फैसला किया।

उस समय देश का अपना संविधान, शासन और प्रशासन प्रणाली न होने तथा स्वतंत्रता के बावजूद ब्रिटिश शासन की संलिप्तता के कारण भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल (संविधान लागू होने के बाद राष्ट्रपति में परिवर्तित) सीवी राजगोपालाचारी इसकी स्थापना के लिए सहमत नहीं थे,

लेकिन पंडित जवाहरलाल नेहरू और अन्य नेताओं को सलाह दी गई कि आने वाली 26 जनवरी को भारत एक गणतंत्र बनने जा रहा है, इसलिए इन पुरस्कारों की औपचारिक स्थापना 26 जनवरी 1950 को की जाएगी, अंततः भारत के पहले तीन वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र, महावीर चक्र और वीर चक्र की स्थापना 26 जनवरी 1950 को की गई और इन्हें 15 अगस्त 1947 से प्रभावी माना गया।

इसके बाद फिर 4 जनवरी 1952 को 3 अन्य वीरता पुरस्कार अशोक चक्र (तीन श्रेणी, प्रथम श्रेणी, द्वितीय श्रेणी और तृतीय श्रेणी में वर्गीकृत) की स्थापना की गई,

बाद में 27 जनवरी 1967 को अशोक चक्र के तीनों श्रेणी fको बदलकर शीर्ष क्रम में अशोक चक्र, कृति चक्र और वीर चक्र कर दिया गया। इस प्रकार, वर्तमान में भारत में राष्ट्रपति द्वारा कुल 6 वीरता पुरस्कार दिए जाते हैं।

वीरता पुरस्कारों की सूची

इन पुरस्कारों में शामिल सभी सम्मान आगे दो श्रेणी में वर्गीकृत किए गए हैं।

Wartime gallantry award

Wartime gallantry award, जल, स्थल एवं आकाश, में युद्ध के दौरान दुश्मनों के समक्ष वीरता, साहसिक कार्य एवं आत्म-बलिदान को सम्मानित करने के लिए दिया जाता हैं। इसमें शामिल सम्मान है, परमवीर चक्र, महावीर चक्र और वीर चक्र।

परमवीर चक्र

परमवीर चक्र भारत का सर्वोच्च सैन्य सम्मान है जो युद्ध के दौरान दुश्मन की मौजूदगी में सबसे उल्लेखनीय एवं साहसिक बहादुरी के लिए दिया जाता है।

परमवीर चक्र से संबंधित अहम जानकारी
  • इसे ‘Supreme wheel of Bravery’ तथा ‘Wheel of the Ultimate Brave’ कहा जाता हैं।
  • यह सम्मान अब तक कुल 21 व्यक्ति को दिया गया है जिनमें 20 भारतीय सेना तथा एकमात्र वायु सेना अधिकारी निर्मलजीत सिंह शेखर शामिल है।
  • 21 विजेताओं में से 14 अधिकारी मरणोपरांत इस सम्मान से सम्मानित किए गए हैं।
  • कांस्य निर्मित इस पदक के मध्य में राजकीय चिन्ह और सामने की ओर किनारों पर चार वज्र बने हुए हैं, जबकि पीछे की ओर हिन्दी और अंग्रेजी में अंकित परमवीर चक्र के बीच में दो कमल के फूल बने हुए हैं।
  • इस पदक को पहनने के लिए बैंगनी रंग की 32 मिमी चौड़ाई वाली रिबन का उपयोग किया जाता है।
  • परमवीर चक्र विजेता या उनके परिजनों को 20,000 रुपये प्रतिमाह मुआवजा मिलता है।

महावीर चक्र

भारत का दूसरा सर्वोच्च सैन्य सम्मान, महावीर चक्र सेनाओं की उल्लेखनीय बहादुरी को मान्यता देने के लिए दिया जाता है।

महावीर चक्र से संबंधित अहम जानकारी
  • महावीर चक्र ‘Prime wheel of Bravery’ कहलाता हैं।
  • अब तक कुल 213 व्यक्ति महावीर चक्र से सम्मानित किए गए हैं।
  • चांदी से बने महावीर चक्र के ऊपरी भाग पर पांच कोनों वाला सितारा बना हुआ है, जिसके मध्य में भारत का राज्य चिह्न बना हुआ है, जबकि पीछे की ओर परमवीर चक्र के समान हिन्दी और अंग्रेजी में महावीर चक्र शब्द अंकित है तथा उनके बीच में दो कमल बने हुए हैं।
  • महावीर चक्र के लिए प्रयुक्त रिबन समान लम्बाई का, लेकिन आधा सफेद और आधा नारंगी रंग का होता है।
  • ब्रिटेन का ‘विशिष्ट सेवा आदेश’ महावीर चक्र का समकक्ष सैन्य पुरस्कार हैं।
  • महावीर चक्र विजेताओं को मुआवजा तौर पर प्रतिमाह 10,000 रुपया दिया जाता हैं।

वीर चक्र

वीर चक्र Wartime gallantry award का तीसरा व आखिरी सैन्य सम्मान है जो युद्ध में दुश्मनों के समक्ष वीरता प्रदर्शित करने के लिए दिया जाता हैं।

वीर चक्र से संबंधित अहम जानकारी
  • यह ‘Wheel ऑफ Bravery’ के नाम से भी जाना जाता हैं।
  • Wartime gallantry award में, सबसे जायदा वीर चक्र अब तक 1336 सैन्य नायकों को दिया गया हैं।
  • कांस्य निर्मित वीर चक्र में शीर्ष पर अशोक चक्र के साथ जुड़ा एक पांच-बिंदु वाला सितारा है जिसके अंदर केंद्र में भारत का राज्य प्रतीक उभरा हुआ है, जबकि पीछे की ओर का डिज़ाइन पिछले दो, परमवीर चक्र और महावीर चक्र के समान है, लेकिन अंतर इस पर उल्लेखित नाम में है।
  • वीर चक्र का रिबन आधा नीला और आधा नारंगी रंग का होता है।
  • इसमें भत्ते के रूप में 7000 रुपये प्रतिमाह दिए जाते हैं।

Peacetime gallantry award

युद्धकालीन वीरता पुरस्कार के विपरीत, शांतिकालीन वीरता पुरस्कार युद्ध क्षेत्र के बाहर शांतिकालीन मिशनों जैसे कि आपदा प्रबंधन, राहत और बचाव कार्य आदि में साहस और बहादुरी के कार्यों को सम्मानित करने के लिए दिया जाता है। शांतिकालीन पुरस्कार सैन्य के साथ-साथ नागरिकों को भी दिया जाता है। इसमें शामिल सम्मान हैं अशोक चक्र, कृति चक्र और शौर्य चक्र।

अशोक चक्र

अशोक चक्र शांति काल का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है जो युद्ध के मैदान से परे, अत्यंत विशिष्ट वीरता, उत्कृष्ट सेवा, सर्वोच्च वीरता और आत्म-बलिदान के लिए दिया जाता है। तुलनात्मक रूप से, इसे परमवीर चक्र के बराबर माना जाता है।

अशोक चक्र से संबंधित अहम जानकारी
  • इसे ‘Wheel of Ashoka’ भी कहा जाता है।
  • आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, अब तक 98 वीरों को अशोक चक्र से सम्मानित किया जा चुका है, जिनमें से 68 को मरणोपरांत यह सम्मान दिया गया है।
  • पीतल से निर्मित स्वर्ण-जड़ित अशोक चक्र के ऊपरी भाग पर कमल पुष्पमाला से घिरा अशोक चक्र अंकित है, जबकि दूसरी ओर दो कमल पुष्पों के बीच हिन्दी और अंग्रेजी में पदक का नाम ‘अशोक चक्र’ अंकित है।
  • इसमें हरे रंग का रिबन, जो नारंगी ऊर्ध्वाधर रेखा द्वारा दो बराबर खंडों में विभाजित है।
  • अशोक चक्र प्राप्तकर्ता को भत्ते के रूप में 12000 रुपया प्रति माह दी जाती हैं।

कृति चक्र

अशोक चक्र के बाद, कृति चक्र इस श्रेणी का दूसरा सबसे बड़ा शांतिकालीन वीरता पुरस्कार है, जो युद्ध के मैदान के बाहर वीरता, साहस और आत्म-बलिदान के लिए सैन्य और नागरिक कर्मियों को दिया जाता है। महावीर चक्र को इसके समकक्ष पुरस्कार के रूप में जाना जाता है।

कृति चक्र से संबंधित अहम जानकारी
  • कृति चक्र ‘Wheel of Glory’ के नाम से भी जाना जाता हैं।
  • अब तक 487 लोगों को कृति चक्र से सम्मानित किया जा चुका है, जिनमें से 198 को यह सम्मान मरणोपरांत दिया गया है।
  • कृति चक्र का डिजाइन अशोक चक्र की तरह ही है पर यह पूर्ण सिल्वर का बना होता है।
  • इसमें प्रयुक्त रिबन भी हरे रंग का है, इसके दोनों सिरों पर समान दूरी पर दो नारंगी ऊर्ध्वाधर रेखाएं अंकित हैं जो इसे तीन बराबर भागों में विभाजित करती हैं।
  • कीर्ति चक्र से सम्मानित वीरों को 9000 रुपये प्रति माह दिया जाता है।

शौर्य चक्र

शौर्य चक्र, युद्ध क्षेत्र के बाहर साहसपूर्ण और वीरतापूर्ण कार्यों के लिए दिया जाने वाला तीसरा और अंतिम शांतिकालीन वीरता पुरस्कार है। इसे युद्धकालीन वीरता पुरस्कार वीर चक्र के समकक्ष माना जाता है।

शौर्य चक्र से संबंधित अहम जानकारी
  • शौर्य चक्र को ‘Wheel of Gallantry’ कहा जाता हैं।
  • सभी वीरता पुरस्कारों में सबसे जायदा 2126 उम्मीदवार शौर्य चक्र से सम्मानित किए गए हैं, इसमें से 627 व्यक्तियों को मरणोपरांत यह सम्मान दिया गया हैं।
  • इसकी डिजाइन आदि, अन्य दो शांतिकालीन वीरता पुरस्कार, अशोक चक्र और कृति चक्र के समान ही है, हालांकि यह कांस्य का बना हैं।
  • रिबन के मामले में, यह अशोक चक्र और कृति चक्र का संयोजन है, जिस पर कुल तीन रेखाएं अंकित हैं, एक अशोक चक्र की तरह बीच में और दो कृति चक्र की तरह सिरों से समान दूरी पर।
  • इसमें प्राप्तकर्ता को 6000 रुपये प्रतिमाह दिए जाते हैं।

Peacetime gallantry के तीनों पुरस्कार अशोक चक्र, कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र में भत्ते के रूप में दी जाने वाली राशि के बारे में विकिपीडिया और कई आधिकारिक वेबसाइटों जैसे भारतीय नौसेना, भारतीय वायु सेना आदि पर अलग-अलग जानकारी है। यहाँ दी गई जानकारी भारत सरकार की सूचना प्रसारण वेबसाइट पीआईबी पर आधारित है।

ये सभी पुरस्कार अपने आप में विषय के रूप में जाने जाते हैं, लेकिन सामान्य जानकारी के तौर पर हमने प्रत्येक से जुड़े मुख्य बिंदुओं का उल्लेख किया है, आइए अब जानते हैं कि इनके विजेताओं की घोषणा कैसे की जाती है।

वीरता पुरस्कार की चयन प्रक्रिया

विजेताओं की चयन प्रक्रिया के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण बातें ध्यान में रखने की आवश्यकता है, जो नीचे बताया गया है।

चूंकि वीरता पुरस्कार वर्ष में दो बार दिए जाते हैं, इसलिए गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिए जाने वाले पुरस्कारों के लिए उम्मीदवारों की सिफारिशें संबंधित सैन्य बलों या विभागों से अगस्त माह में मांगी जाती हैं, जबकि स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिए जाने वाले पुरस्कारों के लिए उम्मीदवारों की सिफारिशें मार्च माह में मांगी जाती हैं।

वीरता पुरस्कारों पर विचार करने की समय सीमा वीरता का कार्य करने की तारीख से दो कैलेंडर वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।

पुरस्कार के लिए अनुशंसित कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रतिकूल रिपोर्ट में शामिल नहीं होना चाहिए और न ही उसे कोर्ट मार्शल, प्रशासनिक कार्रवाई आदि जैसी किसी प्रक्रिया के माध्यम से निंदा की जानी चाहिए।

पुरस्कार के लिए सिफारिशें आमतौर पर वीरता के कार्य के बाद संबंधित सैन्य बलों या विभागों द्वारा यथाशीघ्र रक्षा मंत्रालय को भेजी जानी आवश्यक होती हैं।

वीरता पुरस्कार की सिफारिश से लेकर उसे रक्षा मंत्रालय को भेजने तक कई प्रक्रियाएं शामिल होती हैं। आइये इनके बारे में बात करते हैं।

चूंकि वीरता पुरस्कार सैन्य कर्मियों और नागरिकों दोनों को दिए जाते हैं, इसमें सैन्य कर्मियों की सिफारिश संबंधित बलों द्वारा की जाती है जबकि किसी भी आम नागरिक की सिफारिश का काम केंद्रीय गृह मंत्रालय की देखरेख में किया जाता है, आइए सबसे पहले सैन्य कर्मियों के बारे में बात करते हैं।

पुरस्कारों के लिए मामले तीन भारतीय सशस्त्र बलों अर्थात भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना की यूनिट द्वारा शुरू किए जाते हैं, और यदि उपयुक्त पाए जाते हैं, तो यूनिट कमांडर नियमों के अनुसार संबंधित सेवा मुख्यालय को उनकी सिफारिश करता है, जहां गठित पुरस्कार समिति उन पर विचार करती है और मामलों को संबंधित सेवा प्रमुख की सहमति से रक्षा मंत्रालय को भेजा जाता है।

अब बात करते हैं आम नागरिकों की सिफारिश कैसे रक्षा मंत्रालय तक पहुंचती है। जैसा कि हमने बताया कि सिविलियन की सिफारिश का काम गृह मंत्रालय की देखरेख में होता है इसमें सबसे पहले गृह मंत्रालय द्वारा सभी राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश सरकारों, केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों, सशस्त्र पुलिस बलों, रेलवे सुरक्षा बल आदि से संबंधित व्यक्तियों के लिए सिफारिश मांगी जाती है,

इसके पश्चात प्राप्त सिफारिश की जांच गृह मंत्रालय स्थित एक उप समिति द्वारा किए जाने के बाद केंद्रीय गृह सचिव की सहमति के साथ रक्षा मंत्रालय को भेज दिया जाता है।

रक्षा कर्मियों और नागरिकों दोनों के लिए प्राप्त सिफारिशों पर आगे विचार करने के लिए रक्षा मंत्रालय में एक केंद्रीय सम्मान और पुरस्कार समिति गठित की जाती है जिसके सदस्य स्वयं रक्षा मंत्री और तीनों सेना प्रमुख होते हैं। गृह मंत्रालय द्वारा अनुशंसित मामलों में गृह सचिव भी इस समिति का हिस्सा होते हैं।

सिफारिशों पर रक्षा मंत्रालय की केंद्रीय सम्मान एवं पुरस्कार समिति द्वारा विचार किया जाता है तथा मंजूरी के लिए प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को प्रस्तुत किया जाता है और फिर राष्ट्रपति के स्वीकृति के बाद गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर वीरता पुरस्कार के विजेताओं की घोषणा की जाती है।

सभी विजेताओं को उनके वीरतापूर्ण कार्यों के अनुसार वीरता पुरस्कारों के तहत छह अलग-अलग पदक दिए जाते हैं, इन्हें पहनने के मामले में वरीयता का एक निर्धारित क्रम होता है जो पदकों की गरिमा और सम्मानित व्यक्तियों के उत्कृष्ट योगदान को दर्शाता है। इस क्रम के अनुसार पदकों की रैंकिंग नीचे दी गई है।

सम्मानमेडल पहनने के मामले में वरीयता क्रम
परमवीर चक्र 2
महावीर चक्र 3
अशोक चक्र 8
कृति चक्र 9
वीर चक्र14
शौर्य चक्र 15

इस सूची में सबसे पहले स्थान पर भारत रत्न है, जो भारत का सर्वोच्च सम्मान और एक civillian award हैं।

ऊपर बताए गए वरीयता क्रम के अलावा, केवल वीरता पुरस्कारों में, पदकों की वरीयता इस प्रकार है।

परमवीर चक्र > अशोक चक्र > महावीर चक्र > कृति चक्र > वीर चक्र > शौर्य चक्र

वीरता पुरस्कार से संबंधित कई सारी बातें आप जान गए होंगे, अब चलिए आखिर में वापस से कुछ जरूरी और रोचक बातों पर नजर डालें।

वीरता पुरस्कार से संबंधित अहम जानकारी

  • यह पुरस्कार वर्ष में दो बार, गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर प्रदान किया जाता है।
  • परमवीर चक्र और अशोक चक्र राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड के दौरान प्रदान किए जाते हैं, जबकि अन्य वीरता पुरस्कार, महावीर चक्र, वीर चक्र, कृति चक्र और शौर्य चक्र राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में प्रदान किए जाते हैं।
  • भारतीय सेना की “सेरेमोनियल एंड वेलफेयर एडजुटेंट जनरल शाखा” द्वारा 11 जुलाई 2019 को जारी एक आदेश में मृतक सैन्य कर्मियों के करीबी रिश्तेदारों को युद्ध स्मारकों, कब्रिस्तानों और अंत्येष्टि में श्रद्धांजलि समारोहों में भाग लेने के दौरान छाती के दाईं ओर अपने पदक पहनने की अनुमति दी गई।
  • वीरता पुरस्कारों में भत्ते के रूप में नकद राशि का भुगतान शामिल है, इसकी विस्तृत जानकारी आपको हो गई होंगी।

ये सारी बातें रही वीरता पुरस्कार के बारे में, यहां हमने चीज़ों को सरल और सटीक रखते हुए वीरता पुरस्कार से संबंधित तमाम जरूरी जानकारी दी है, आप कमेंट कर अपनी राय, सुझाव हमें अवश्य दे, साथ ही अच्छी लगी हो तो आगे साझा भी करें।

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